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सवादाता मनीष गुप्ता
कानपुर प्रेसक्लब में कानपुर महानगर के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 राज तिलक, डॉ0 वी0 एन 0 त्रिपाठी, व वरिष्ठ दमा विशेषज्ञ डॉ0 एस0के0 अवस्थी ने संयुक्त रूप में “विश्व अस्थमा दिवस” के विषय मे विस्तृत जानकारी देने हेतु वार्ता की।
उन्होंने बताया कि GINA(Globallnitiative for Asthma) जो WHO, NHLBI, National Institute of Health के सम्मिलित सहयोग से सन बनी है , जो हर साल अस्थमा दिवस मना कर अस्थमा बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करती है।
उन्होंने आगे बताया कि दमा एक विश्वव्यापी रोग है जो फेफड़े की बीमारी है , इसमें लोगों की साँस फूलती है, सांय-सांय की सिटी जैसी आवाज़ आना, सीने में जकड़न होना, खांसी आना मुख्य लक्षण हैं।
अस्थमा को क्योर नहीं किया जा सकता है परंतु अगर रोगी सही उपचार और बचाव कर ले तो वह अपना साधारण जीवन जी सकता है। इसे नियंत्रित दमा कहते हैं, जिसमें उसकी रात में नींद खराब नहीं होती, रिलीवर मेडिसिन का कमसेकम प्रयोग करना पड़ता है।
अपने देश में 4%दमा के रोगी मिलते हैं जिनमें 6% से 10% तक बच्चों में पाया जाता है। आंकड़े बताते हैं कि पश्चिम बंगाल, मिज़ोरम, सिक्किम, त्रिपुरा और केरल सर्वाधिक रोगी दमा के हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि दमा का कारण धूल के कण, पालतू जानवरों से, तम्बाकू के धुएं , वायु प्रदूषण, अधिक भावावेश, केमिकल इरिटेंट्स, आदि। समय-समय पर फेफड़ों की जांच, इन्हेलर का उचित प्रयोग किया जाना चाहिए।