सेंट्रल बैंक अधिकारियों की मिली भगत से खुले थे लाकर

सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के लाकर से माल गायब होने का मामला बैंकों के कुल 1142 बैंक लाकर में से 507 आवंटित हैं

-इनमें 306 लाकरों को लाकर धारक अब तक चेक कर चुके है -अभी 201 बैंक लाकरों को ग्राहकों द्वारा चेक करना बाकी रह गया बैंक मैनेजर, लाकर प्रभारी, गोदरेज लाकर कंपनी के चार लोग शामिल -पुलिस सभी लाकर धारकों से लाकर चेक करने की अपील कर रही है • पकड़े गये अभियुक्तों से पूरी विशेषज्ञता से पूछताछ की जा रही है -9 दिसंबर 2021 को बैंक अधिकारियों ने खोले गये थे लाकर

कानपुरा बैंकों के लाकर खुलने और खाली होने के मामले को पुलिस ने शिकायत मिलने के कुछ ही दिनों के अंदर खोल दिया है। बैंक के लाकर धारकों की गाढ़ी कमाई पर डाका किसी और ने नहीं बल्कि उस बैंक के अधिकारियों ने ही डाला था जिनके भरोसे लोगों ने अपना कीमती सामान जमा किया था। पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद त्वरित कारवाई करते हुए बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों पर शिकंजा कसा और पूरा मामला परत दर परत खुलने लगा। पुलिस ने अब तक 4 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

घटनाक्रम के मुताबिक 15 मार्च को सेंट्रल बैंक आफ इंडिया का पहला मामला प्रकाश में आने के बाद तत्काल एफआईआर लिखकर मामले की विवेचना शुरू की गई। इसके बाद 31 मार्च और पाच अप्रैल को दो अन्य एफआईआर लिखकर मामले को एसआइटी को सौंप दिया गया। इन तीनों मामलों में लाकरों से सामान गायब था। ग्राहकों द्वारा अब तक करीब ढाई करोड़ रुपये का माल लाकरों से गायब होने का दावा किया गया है।

ऐसे खुला मामला

जब एसआइटी ने मामले की जांच शुरू की तो बैंक के रजिस्टर व अन्य रिकार्ड चेक किये गये तो इसमें असमानताएं मिली। जब लाकर खोलने वाले मिस्त्री से विस्तार से पूछताछ कर उन लाकरों को चिन्हित कराया गया जिन्हें उनके द्वारा खोला गया था तो 9 दिसंबर 21 के दिन अनधिकृत तरीके से 7 लाकरों को ब्रेक ओपन किया गया था। इसमें पकड़े गये चंद्र प्रकाश ने स्वीकार किया कि 9 दिसंबर को 29 लाकर खोले जिनमें से 10 लाकरों में सामान निकला बल्कि 19 लाकर खाली थे। जबकि बैंक के रजिस्टर में मात्र 3 लाकरों से सामान निकलना दिखाया गया है।

करनराज को आज बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने खोले गये लाकरों की पहचान करने को कहा गया तो उसने बताया कि प्रश्नगत सभी लाकरों को 9 दिसंबर को खोला था। साथ ही उसने बताया कि उसे इस काम के लिये दस हजार रुपये अतिरिक्त दिये गये थे जबकि चंद्रप्रकाश को 250-300 ग्राम सोने के आभूषण दिये गये थे। चंद्रप्रकाश ने भी पूछताछ में स्वीकार किया कि उसे भी 300 ग्राम जेवर दिये गये थे जो कि उसने दो ज्वेलरों के यहां 35 हजार रुपये प्रति दस ग्राम के हिसाब से बेध दिये तथा प्राप्त रकम में से पांच लाख रुपये की एफडी किया। जिसका सत्यापन पुलिस द्वारा किया जा चुका है।
ब्रेक ओपन में नियम रखे ताक पर

सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के नियमानुसार लाकर के ब्रेक ओपन की कारवाई के दौरान जो कमेटी गठित होती है, उसमें दो सीनियर मैनेजर एक लीगल एडवाइजर, दो इंडिपेंडेट विटनेस जो बैंक के ग्राहक न हो और न ही बैंक इप्लाई हो उनका होना अनिवार्य है। जबकि इनकी कमेटी गठन में इसका पालन नहीं किया गया।

आपरेशन में भारी लाकर अनदेखी

गोदरेज के द्वारा अधिकृत कंपनी पैन कामर्शियल को लाकर संबंधित मेंटीनेंस संबंधित कार्य के लिये अधिकृत किया गया था। जिसमें चंद्रप्रकाश ही अधिकृत कर्मचारी है। जबकि बैंक अधिकारियों द्वारा कंपनी से संबंध न रखने वाले करनराज, राकेश एवं रमेश को लाकर के भीतर लाकर आपरेशन के लिये जाने दिया जो कि नियमों की भारी अनदेखी है।

पहले शिकायत को दबाने में लगे थे अधिकारी

सात जनवरी को पहली शिकायत एक लाकर धारक पीड़िता सीता गुप्ता द्वारा की गई थी। इसमें बैंक मैनेजर द्वारा इस पर कोई कारवाई नहीं की गई। फिर दूसरी शिकायत आने के बाद पहली पीड़िता ने डीसीपी ईस्ट प्रमोद कुमार के कार्यालय में आकर शिकायत की। जिस पर एफआइआर लिखकर दोनों मामलों की एक साथ जांच शुरू की गई।

नये सिरे से होगी लाकरों की सुरक्षा

आरबीआई की रीजनल डायरेक्टर के साथ अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी तथा पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना ने बैठक कर लाकरों की सुरक्षा के विषय में गंभीरता बरतते हुए सुधार करने हेतु चर्चा की। साथ ही यह भी कहा गया कि सभी बैंक लाकरों की सुरक्षा के लिये सीसीटीवी, सुरक्षा गार्ड एवं लाकरों का निरीक्षण, परीक्षण बँक अधिकारियों द्वारा स्थानीय थाना के साथ समन्वय बनाते हुए अगले 48 घंटों के अंदर पूरा कर लिया जाए।

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