एंबुलेंस नही मिली तो बीमार पत्नी को ठेले पर लेकर पहुचा अस्पताल नहीं बच सकी बुजुर्ग महिला की जान

बलिया। उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भले ही लाख दावे करे, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।एक बुजुर्ग पति को अपनी बीमार पत्नी को इलाज के लिए अस्पताल तक ले जाने के लिए साधन न मिलने पर बुजुर्ग अपनी पत्नी को ठेले पर लेकर चार किमी दूर चलकर पीएचसी पहुंचा।

मामला उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के बलिया जिले के चिलकहर ब्लाक के अन्दौर गांव का है। बुजुर्ग सुकुल प्रजापति की पत्नी 55 वर्षीय जोगनी की तबियत 28 मार्च को खराब हो गई थी। उन्हें अस्पताल तक जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला।साधन न मिलने पर बुजुर्ग अपनी पत्नी को ठेले पर लेकर चार किमी दूर चलकर चिलकहर पीएचसी पहुंचा।पीएचसी से बुजुर्ग महिला को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।जिसके बाद बुजुर्ग पैसे-कपड़े आदि लेकर वापस पत्नी के पास पहुंचा। वहां से टेम्पो से पत्नी को जिला अस्पताल पहुंचा।इसके बाद भी इलाज के दौरान पत्नी जोगनी की मौत हो गयी।हद तो यह कि लाश को जिला अस्पताल से घर ले जाने के लिए भी एम्बुलेंस नहीं मिली।विवश होकर बुजुर्ग ने 11 सौ रुपये किराया देकर निजी एम्बुलेंस से पत्नी की लाश लेकर घर लौट सका।बुजुर्ग द्वारा अपनी पत्नी को ठेले पर लेटाकर अस्पताल तक ले जाने का वीडियो और फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।अब वायरल हुई फोटोज और वीडियो का उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने संज्ञान लेते हुए अधिकारियों से इसकी रिपोर्ट तलब की है। बलिया सीएमओ डॉक्टर नीरज पांडे का कहना है कि पीएचसी चिलकहर के गेट तक मरीज को लेकर परिजन गए थे। इसके बाद जिला अस्पताल ले गया, जहां मौत हो गई। पूछने पर उसने बताया कि एंबुलेंस के लिए फोन नहीं किया था।

बुजुर्ग सुकुल प्रजापति ने बताया कि स्वास्थ्य केन्द्र पर कुछ दवाएं देकर डॉक्टर ने जिला अस्पताल ले जाने को कहा।रास्ते में पियरिया के पास पत्नी को ठेला पर ही छोड़कर वह पैदल घर आ गये। बुजुर्ग ने बताया कि रात में करीब 11-12 बजे मौत के बाद लाश ले जाने के लिए अस्पताल वालों से एम्बुलेंस मांगा गया तो उन्होंने रात में वाहन ले जाने की अनुमति नहीं होने का हवाला दे दिया।

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