मथुरा।श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद भूमि विवाद मामले में एक नया मोड़ आ गया है।अब एक और याचिका दायर की गई है।याचिका में कहा गया है कि 1670 में औरंगजेब मथुरा के मंदिर को तोड़कर मूर्तियों और कीमती सामानों को लेकर आगरा के लाल किले में गया था।याचिका में सीढ़ियों की जांच करने की मांग की गई है,क्योंकि मूर्तियां कथित तौर पर उनके नीचे हैं। याचिका में डायरेक्टर जरनल आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया,अधीक्षक भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण आगरा, निदेशक भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण और केंद्रीय सचिव को पार्टी बनाया गया है। इस अर्जी पर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में 11 बजे के बाद सुनवाई हुई।
अधिवक्ता महेंद्र प्रताप ने शुक्रवार को मथुरा सिविल कोर्ट में एक नया वाद दाखिल किया है। सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दायर वाद में दावा किया गया कि आगरा के लाल किले के अंदर दीवान-ए-खास के पास बेगम साहिबा की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे केशव देव की पौराणिक, बेशकीमती और रत्न जड़ित मूर्तियां दबी हैं। वाद में गुहार लगाई गई कि कोर्ट पुरातत्व विभाग से खुदाई करवाकर मूर्ति को बाहर निकलवाए।
अधिवक्ता महेंद्र सिंह ने अर्जी में कहा कि मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्ति के दबे होने और उन पर मुस्लिम लोगों के चलने से हिंदुओं की भावनाएं आहत हो रही हैं। अपने दावे के समर्थन में अधिवक्ता ने औरंगजेब के मुख्य दरबारी साखी मुस्तेक खान द्वारा लिखित पुस्तक मासर-ए-आलम गिरी का हवाला दिया है। वाद के माध्यम से लाल किले में मौजूद बेगम साहिबा की सीढ़ियों का सर्वे कराकर मूर्ति निकलवाने की प्रार्थना की गई थी।
इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन ने वाद को स्वीकार न करते हुए याचिकाकर्ताओं को आदेश दिया कि वाद दायर करने से पूर्व विपक्षीगण को 80 सीपीसी के तहत नोटिस दें। 60 दिन के अंदर विपक्षीगणों को याचिकाकर्ता को जबाब देना होगा। जबाब ने देने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकता है।(@crime100news)
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