लखनऊ।रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर निर्वाचन आयोग ने उप चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। आजमगढ़ लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और रामपुर से आजम खान ने दो महीने पहले विधायक बनने के बाद इस्तीफा दे दिया था। समाजवादी पार्टी दोनों ही सीटों को जीतने के लिए पूरी ताकत झोकने जा रही है और उम्मीदवार के नाम को लेकर चुनावी मंथन शुरू कर दिया है।
रामपुर लोकसभा सीट से कौन लड़ेगा चुनाव
रामपुर लोकसभा सीट से बरेली के नवाबगंज विधानसभा से पांच बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को चुनाव लड़ाया जा सकता है।वहीं आजमगढ़ लोकसभा से सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी पूर्व सांसद डिम्पल यादव का नाम लगभग तय हो चुका है। डिंपल को तीन दिन पहले राज्यसभा भेजने की तैयारी थी, लेकिन अंतिम समय में गुरुवार को रालोद मुखिया जयंत चौधरी का नाम फाइनल कर दिया गया है।
चर्चा में पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार का नाम
रामपुर लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री भगत शरण गंगवार के करीबियों ने आजम खान तक उनका नाम भेजा है। इसके साथ ही कुछ लोग सपा मुखिया अखिलेश यादव से भी उनकी पैरवी करने में जुटे हैं।सपा में गंगवार को आजम खान का करीबी माना जाता है।आजम खान की वजह से गंगवार को 2019 में बरेली लोकसभा से टिकट मिला था, लेकिन भाजपा के पूर्व मंत्री संतोष गंगवार से पराजित हुए थे।भगवत शरण गंगवार नवाबगंज से पांच बार चुनाव जीते हैं और दो बार मंत्री रहे हैं।
क्या आजम खान के करीबी के नाम पर लगेगी मुहर
भगवत शरण गंगवार 2002, 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराया था।
2017 और 2022 में भाजपा के प्रत्याशी के सामने जीत का परचम नहीं लहरा पाए और चुनाव हार गए थे। रामपुर में आजम खान की पसंद का उम्मीदवार ही होगा, कयोंकि वहां सपा नहीं आजम खान के दम पर सपा का जीत का परचम लहरना तय है, लेकिन सपा हाईकमान स्वामी प्रसाद मौर्य को भी सेट करना चाहते है।स्वामी फाजिलनगर विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार से चुनाव में पराजित हो गए थे।
सपा को मौर्य वोट से मिलेगा फायदा
स्वामी प्रसाद मौर्य को लोकसभा भेजने से सपा को मौर्य वोट में फायदा होना तय है,क्योंकि मौर्य मतदाता हर विधानसभा में 10 से 70 हजार तक हैं,लेकिन रामपुर में आजम खान की पसंद का उम्मीदवार होगा। आजम खान के उम्मीदवार कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने के बाद सपा और अखिलेश यादव से उनकी नाराजगी काफी कम हुई है।
आजम की पत्नी को रास नहीं आई सियासत
आजम खान की पत्नी तंजीम फातिमा को भी लोकसभा चुनाव लड़ाने की रामपुर में चर्चा है।तंजीम ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था और अब चुनाव नहीं लड़ना चाहती हैं। तंजीम बदायूं के कॉलेज में प्रोफेसर थीं।उनको सियासत पसंद भी नहीं आई है।आजम खान के छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम खान स्वार विधानसभा से दूसरी बार विधायक बने हैं।
23 को मतदात, 26 को मतगणना
रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा उपचुनाव नामांकन की आखिरी तारीख 6 जून रखी गई है। 7 जून को नामांकनों की स्कूटनी की जाएगी। 9 जून तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकेंगे,जबकि 23 जून को वोटिंग और 26 जून को मतगणना होगी।
रामपुर में मुस्लिम मतदाता निर्णायक
रामपुर लोक सभा सीट पर करीब 16:50 लाख मतदाता है। यहां मुस्लिम मतदाता करीब 54 फीसद हैं। 20 फीसद मतदाता कुर्मी भी हैं,इस वजह से भगवत शरण गंगवार मुस्लिम और कुर्मी मतदाताओं के सहारे चुनाव जीत सकते हैं, लेकिन बिना आजम खान के जीत नामुमकिन है। 2019 में आजम खान ने भाजपा उम्मीदवार और अभिनेत्री जयाप्रदा को लगभग 1.10 लाख वोटों से पराजित किया था। आजम खान को 559177 और जया प्रदा को 449180 वोट मिले थे। इस लोकसभा में रामपुर शहर, स्वार, बिलासपुर, चमरौआ और मिलक विधानसभा है।इसमें से शहर, चमरौआ और स्वार सीट पर सपा का कब्जा है,जबकि बाकी दो सीट सपा के पास हैं।
अबुल कलाम आजाद पहले सांसद
रामपुर लोकसभा सीट से सबसे पहली बार 1952 में हुए पहले संसदीय चुनाव में कांग्रेस की ओर से डॉ. अबुल कलाम आजाद ने जीत दर्ज की थी। 1952 से लेकर 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा,लेकिन 1977 में एक बार भारतीय लोकदल के प्रत्याशी यहां से जीते।कांग्रेस का फिर से यहां पर दबदबा कायम हो गया।1999 में पहली बार भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी फिर 2004 और 2009 में सपा की जया प्रदा ने जीत दर्ज की। 2014 में भाजपा के नेपाल सिंह जीते,मगर 1999 के चुनाव में आजम खान ने जीत दर्ज की थी।(@crime100news)
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