“आसमान” तो नही बन सकतें पर हर किसी के लिए “आस” और “मान” जरूर बन सकतें हैं।
आस और मान का बहुत सारे अर्थ होतें हैं पर आप जिस मुकाम पे खड़े हो उस मुकाम से आप को जो भी आसान लगता है।
वही बन जाओ पर बिना जात पात ऊंच नीच और अमीर गरीब देखे बिना।
आस : आसरा, सहारा, शरण, मदद, सहायता, समर्थन,
भरोसा, विश्वास, यकीन, इच्छा, अपेक्षा, आशा, उम्मीद , कामना, तमन्ना।
मान : प्रतिष्ठा, सम्मान, इज्जत, पद-मान-महत, पैमाना, आदर, इज़्ज़त, सम्मान।