मीडिया संस्थान की क्रान्तिकारी आवाज बना आईरा प्रेस क्लब, crime100news.

अंग्रेजी कानून को हथियार बना चौथे स्तंभ पर हमला

☀️छोटे व उभरते मीडिया संस्थान को खत्म करने का अंग्रेजी षडयंत्र

☀️मीडिया संस्थान की क्रान्तिकारी आवाज बना आईरा प्रेस क्लब

☀️सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय के नाम सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंप, की पहल

सीए न्यूज़/ इंडियन प्राइम न्यूज़/ कानपुर/ सुनील चतुर्वेदी/ पीआरबी एक्ट 1867 के तहत पीआईबी में प्रकाशित समाचार पत्र की प्रति मात्र 48 घंटे में भेजने का प्रावधान और ना भेज पाने पर 2000 का जुर्माना लगाने का तानाशाही निर्देश आरएनआई द्वारा वेबसाइट पर 25 सितंबर को दिया गया है। जिसके विरोध में आईरा प्रेस क्लब ने सूचना प्रसारण मंत्री के नाम सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा है।
वैसे तो पत्रकारों और अख़बारों की आवाज को दबाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए जाते हैं। जिसमें क्रांतिकारी पत्रकारों की हत्या, मीडिया चैनलों के प्रसारण पर लगाई जा रही बंदिशे, शासन प्रशासन के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले पत्रकारो का जीना दूभर करना, उन पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगा देना आम है अब ऐसे में यह काला कानून प्रेस की आजादी को संकट के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। एडविन वर्क द्वारा मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया। वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़कर देखा जाता है यानी की प्रेस की आजादी मौलिक अधिकार के अंतर्गत आती है लेकिन बावजूद इसके पत्रकारिता का गला घोंटा जाता है।

क्या है पीआरबी एक्ट और पीआईबी
पीआरबी एक्ट यानी कि (प्रेस और पुस्तक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम) (प्रेस और रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक एक्ट 1867)
ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ये एक्ट है क्या?
आपको बता दें कि यह अंग्रेजों के जमाने का बनाया गया कानून है। क्योंकि अंग्रेज अखबारों को लेकर बहुत सजग थे, और तत्कालीन समय में क्रांतिकारी आवाजों को दबाने के लिए यह कानून बनाया गया था।
इस अधिनियम को ब्रिटिश सरकार द्वारा 1867 ई. में लागू किया गया। इस अधिनियम को बनाने के पीछे अंग्रेज सरकार की एक मंशा, प्रेस/मीडिया पर सरकारी अंकुश रखने की थी। इसमें अंग्रेज सरकार द्वारा कई ऐसे प्रावधान रखे गए थे। जिनके कारण प्रेस स्वतन्त्र होकर अपना काम न कर सके और प्रेस जनता को सरकार के खिलाफ भड़का न सके। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद जब भारत एक पूर्ण गणतन्त्र बना और यहाँ एक नयां संविधान लागू हुआ, तो भारतीय नागरिकों को वाक-स्वतन्त्रता और अभिव्यक्ति को स्वतन्त्रता का मौलिक अधिकार भी मिल गया। इसलिए इस एक्ट के कुछ प्रावधानों को या तो रद्द कर दिया गया है या फिर उन्हें भारतीय संविधान की की मुख्य भावना अनुसार संशोधित कर दिया गया है।

क्या है पीआईबी
पीआईबी यानी की प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो पत्र सूचना कार्यालय इसके जरिए भारत सरकार की विभिन्न नीतियों कार्यक्रमों की जानकारी जनता को पहुंचाना है। पीआईबी सरकार और मीडिया के बीच में इंटरफ़ेस का काम करता है। अंग्रेजों के समय जो भी अखबार खोलता था। उसकी समस्त सूचनाएं तत्कालीन समय के प्रेसीडेंसी को देना ही पड़ता था। बता दें कि यही प्रेसिडेंसी ही आज के समय में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कहलाती हैं।

आईरा प्रेस क्लब ने दिया ज्ञापन जाने क्यों
25 सितंबर 2023 को एक एडवाइजरी जारी की गई जिसमें यह तानाशाह फरमान जारी किया गया कि अगर समाचार प्रकाशन के 48 घंटे के भीतर पीआईबी और आरएनआई में एक प्रति समाचार पत्र नहीं पहुंची तो ₹2000 जुर्माना भरना होगा। आईरा प्रेस क्लब ने इस फरमान को काले कानून के रूप में देखा और वह क्यों देखा इसके बारे में भी हम आपको बताएंगे। ऐसे निर्देशों से लघु एवं मध्यम समाचार पत्र ही पिसेंगे। उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर, कानपुर देहात, बिंदकी, फतेहपुर, कन्नौज, रायबरेली, प्रयागराज, औरैया, इटावा, लखनऊ के लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों के संपादकों की आवाज को आईरा प्रेस क्लब ने सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय के नाम सम्बोधित ज्ञापन कानपुर के जिलाधिकारी को सौंपा है।
जिसमे मुख्य रूप से आठ मांगे हैं।
जिसमें जुर्माना खत्म करना, पीआरबी की धारा 13 (6) को रद्द करना, पीआईबी की शाखा को शहर में स्थापित करना, शासन -प्रशासन की पत्रकारों के प्रति कार्यशैली में सुधार, परिचय पत्र जारी करना, पत्रकार सुरक्षा अधिनियम, पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करने से पहले निष्पक्ष जांच आदि मांग शामिल है।

जिलाध्यक्ष एस पी विनायक ने मीडिया बंधुओं को संबोधित करते हुए ये कहा
खींचे ना कमांनो को ना तलवार निकालो जब तोप हो मुकाबिल तो अखबार निकालो यह शेर अकबर इलाहाबादी ने तब लिखा था। जब अंग्रेजी हुकूमत में क्रूरता चरम पर थी। अकबर इलाहाबादी ने अखबार को उस वक्त एक बड़ी ताकत के रूप में देखा था ठीक वैसे ही जैसे नेपोलियन ने कहा था कि चार विरोधी अखबारों के मारक क्षमता के आगे हजारों बंदूक की ताकत बेकार है भारत के लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की ताकत और महत्ता का आज ज्ञापन दिवस है और हमें उम्मीद है हमारी एकता ही हमारी ताकत बनेगी।
इस दौरान ऑल इंडियन रिपोर्टर्स एसोसियेशन आईरा प्रेस क्लब के पदाधिकारियों सहित सैंकड़ों की संख्या में पत्रकार उपस्थित रहे।

ख़बर लेखन_सुनील चतुर्वेदी

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