सिक्खों की भावनाओं को आघात दिल्ली में बीजेपी विधायक के खिलाफ शिकायत दर्ज


संवाददाता मनीष गुप्ता
कानपुर
विधायक ने ट्विटर पर 1984 जैसे नरसंहार की दी थी धमकी

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उत्तर प्रदेश के बिठूर विधानसभा से बीजेपी विधायक अभिजीत सांगा के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत की है। कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ ने शिकायत में दावा किया है कि बीजेपी विधायक ने सिखों को 1984 जैसे नरसंहार की धमकी दी थी।

शिकायत के बाद विधायक ने डिलीट की पोस्ट, मांगी माफी

मामला कुछ इस प्रकार है कि पंजाब दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक मामले को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा।

हालांकि, बढ़ते बवाल को देखते हुए विधायक को माफी मांगनी पड़ी है।

इस मामले के संबंध में जानकारी देते हुए कुलवंत सिंह बाठ ने बताया कि बीजेपी के इस विधायक सांगा ने एक ट्वीट कर सिखों को 1984 जैसे नरसंहार की धमकी दी थी और कहा था कि कहीं इंदिरा गांधी समझने की भूल ना करें यह नरेंद्र मोदी है तुम्हें लिखने के लिए कागज़ व पढ़ने के लिए इतिहास भी नहीं मिलेगा। दिल्ली कमेटी ने विधायक की इस धमकी के खिलाफ पुलिस थाना नार्थ एवेन्यू थाने में शिकायत दर्ज करवाई है और उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

कानपुर में रोष
इसी तरह अब से कुछ दिनों पूर्व उत्तरप्रदेश के कानपुर जनपद में भी विधायक साँगा के ट्वीट को लेकर कानपुर के भाजपा आर्थिक प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय सह संयोजक सिमरनजीत सिंह ने भी सिक्खों की भावनाओं को आहत करने के संदर्भ में एक शिकायती पत्र लिखकर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी से विधायक को पद से बर्खास्त करने और उनपर देशद्रोह सहित गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की मांग की थी।

इसके साथ साथ समुदाय के भारीमात्रा में लोगो ने एकत्रित होकर कानपुर के मोतीझील में धरना प्रदर्शन कर विधायक का पुतला फूंका और अपना पार्टी विधायक के खिलाफ रोष जताया। इस घटना को कई राष्ट्रीय समाचार पत्रों व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने बड़ी गंभीरता से दर्शया भी है।

दिल्ली में पुनः इस तरह से शिकायती पत्र देकर कार्यवाही की मांग करने के मामले ने फिर प्रदेश में हवा पकड़ ली है।

सूत्रों की माने तो इस समय कुछ जनप्रतिनिधि सत्ताधारी पार्टी को छोड़ अन्य पार्टी के मुखिया से सम्पर्क स्थापित करने की जुट में लगे है। चुनावी दौर में इस तरह कृत्य सत्ताधारी पार्टी के लिए क्या लाभकारी साबित होगा की नही ये देखने लायक़ होगा।

उधर दूसरी तरफ देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार है जिसमे अभी हाल में ही कुछ बड़े सत्ताधारी पदाधिकारियों ने अपना दल छोड़ कर दूसरे दल का दामन थामा है। प्रदेश में आचार संहिता लागू करने का आदेश भी पारित किया जा चुका है। आगमी माह में चुनाव भी होना लगभग तय है।
अब देखना यह है कि इस गलती की वजह से सत्ताधारी पार्टी पर आगामी चुनाव में क्या प्रभाव पड़ता है। वैसे भी चुनावी बिगुल बज चुका है हर पार्टी एक दूसरे के कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की खिंच तान में लगी हुई है और इस तरह के चुनावी सरगर्मी में एक सत्ताधारी पार्टी के जनप्रतिनिधी के द्वारा ऐसी आपत्तिजनक बयान बाजी पार्टी के लिए किस तरह हितकर होगी? ये देखने लायक जरूर होगा। उत्तरप्रदेश के मुखिया इस तरह की उधेड़बुन से बाहर निकलते हुए सिक्खों को खुश करने के लिए पार्टी हित मे क्या निर्णय लेंगे।

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