रिपोर्ट रवि गुप्ता
कानपुर,रंगों का तेवहार कहे जाने वाले होली के पर्व की तैयारी जोरो पर है शहर के यशोदानगर इलाके में इन दिनों होली के लिए तैयार किये जा रहे अबीरगुलाल को जोरो से तैयार कर प्रदेश और शहर के कई हिस्सो में भेजने का सिलसिला चल रहा है।शहर का अबीर और गुलाल की सप्लाई पूरे प्रदेश में की जाती है वही कानपुर को रंगों का किंग भी माना जाता है। जिसको लेकर प्रदेश के कई जिलो से लोग यहां पर रंग ख़रीदे के लिए आते है। यशोदा नगर इलाके में इन दिनों जिधर भी नजर दौड़ाओ बस अबीर और गुलाल से लदे हुए खेत ही दिखाई पड़ते है वैसे तो खेतो में गेहू चना और सब्जियां उगती है लेकिन शहर का यह इलाका इन दिनों पूरी तरह होली के रंगों में सराबोर दिखाई दे रहा है फिर क्या गली और क्या खेत हर तरफ अबीर और गुलाल के ढेर ही दिखाई देते है। जिधर भी नजर डालो अबीर और गुलाल के बड़े बड़े ढेर पर महिलाये और पुरुष काम करते हुए होली की तैयारी में जुटे हुए है। यहां पर अबीर और गुलाल पूरी तरह से नेचुरल रंगो दवारा तैयार किया जाता है जिसके बाद इसकी सप्लाई पूरे प्रदेश में की जाती है गुलाल तैयार करने वाले युवक सोनू ने बताया की यह कारखाना पिछले कई वर्षो से यहां पर चल रहा है इस क्षेत्र के लगभग हर चौथे घर में अबीर और गुलाल बनाया जाता है। चुकी यह इलाका शहर से हटकर है इस लिए यहां आराम से रंगों को सुखाया जाता है। इसे बनाने में विशेष ख्याल रक्खा जाता है क्योकि शहर से यह माल मथुरा वृन्दावव ,आगरा ,लखनऊ गोरखपुर ,बस्ती ,गाजियाबाद मेरठ तक जाता है इसे तैयार करने के लिए हम लोग आरारोट का इस्तेमाल करते है और उसमे नेचुरल रंग मिलाते है जिस रंग का माल देना होता है वह रंग आरारोट में मिलाकर उसे मशीन में मिलाते है मिलाने के दौरान उसमे पानी भी डालते है और जब सही तरीके से रंग मिल जाता है तो उसको मशीन से निकाल कर बहार खेतो में सूखने के लिए डाल देते है और करीब दो घंटे में जब वह पूरी तरह सुख जाता है तब उसकी छनाई कराई जाती है फिर उसमे सुगंध के लिए सेंट भी डाला जाता है और उसके बाद उसकी पचास किलो और तीस किलो की पैकिंग कर सप्लाई के लिए भेज दी जाती है।