लखनऊ।उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के दूसरे चरण का मतदान गुरुवार को हो गया।अब शनिवार को मतगणना होगी। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों की निगाहें निकाय चुनाव के नतीजे पर है,क्योंकि कई दल इसे 2024 का सेमीफाइनल बता रहे थे।निकाय चुनाव के नतीजे तय करेंगे की आने वाले समय में राजनीतिक दलों की रणनीति किस दिशा में जाएगी।राजनीतिक पंडितों का मानना है कि निकाय चुनाव के नतीजे चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभालने वाले नेताओं के लिए भी अहम साबित होंगे।
राजनीतिक मनोदशा का संकेत देंगे नतीजे
जानकारों की माने तो निकाय चुनाव के नतीजे शहरी क्षेत्रों में राजनीतिक मनोदशा का भी संकेत देंगे और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं की स्थिति के बारे में बड़ा संकेत देंगे। बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी सभी ने आक्रामक अभियान शुरू किया था। भारतीय जनता पार्टी ने प्रचार के लिए मंत्रियों और वरिष्ठ पदाधिकारियों को तैनात किया, मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने भी पूर्व मंत्रियों और पार्टी के दिग्गजों को चुनाव प्रचार का काम सौंपा।बहुजन समाज पार्टी ने भी ऐसा ही किया था।लगभग सभी राजनीतिक दलों ने अभियान में बड़े-बड़े लोगों को तैनात किया गया और उन्हें उन विभिन्न केंद्रों में प्रभारी बनाया जहां चुनाव हुए थे। कई मायनों में यह शहरी इलाकों के लोगों के राजनीतिक मिजाज की भी परीक्षा है। ऐसे उम्मीदवार हैं जो सपा और बसपा जैसे कई दलों के मौजूदा सांसदों के रिश्तेदार हैं। इस अर्थ में आप कह सकते हैं कि नतीजे भी नेताओं की राजनीतिक दिशा और दशा तय करेंगे।
भाजपा-सपा के नेताओं ने की ज्यादा रैलियां
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में रिकॉर्ड संख्या में रैलियां की। पहली बार समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी शहरी स्थानीय निकाय चुनाव प्रचार में शामिल हुए, सहारनपुर और अलीगढ़ में रोड शो किए और मेट्रो ट्रेन से यात्रा की। लखनऊ में रिवर फ्रंट का दौरा कर अखिलेश ने योगी सरकार पर जमकर हमला बोला था।
मायावती और प्रियंका रही प्रचार से दूर
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री मायावती इस बार नई रणनीति के साथ चुनाव में उतरीं। मायावती ने 17 में से 11 जगहों पर मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया। बसपा ने 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में एक सीट जीती थी। इसलिए अबकी बार मायावती 2024 से पहले नई रणनीति का प्रयोग कर रही है।कांग्रेस भी इस बार निकाय चुनाव में उतरी थी,लेकिन बड़े नेताओं ने इस चुनाव में प्रचार से दूरी बनाए रखी। खासतौर से प्रियंका गांधी एक बार भी निकाय चुनाव में प्रचार करने नहीं आईं।