क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC), किन देशों में समान नागरिक संहिता है? यूनिफॉर्म सिविल कोड कब लागू होगा?

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यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। यानी हर धर्म, जाति, लिंग के लिए एक जैसा कानून।

आसान शब्दों में कहें तो जिस देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाता है वहां अलग-अलग पंथों के लिये अलग-अलग सिविल कानून नहीं होते। यानी देश के हर नागरिक पर एक ही कानून लागू होगा जो किसी भी पंथ जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है।

जैसे कुछ पारंपरिक क़ानूनों के तहत महिलाओं को शादी के बाद माता-पिता की संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता। यूसीसी (UCC) लागू होने पर, ये क़ानून कमज़ोर पड़ सकता है। आदिवासियों के बीच शादी और तलाक़ सहित कई अन्य पारंपरिक क़ानून प्रचलित हैं।

जैसे- मुस्लिमों में शादी और संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के जरिए होता है। वहीं, हिंदुओं की शादी हिंदू मैरिज एक्ट के जरिए होती है। इसी तरह ईसाई और सिखों के लिए भी अलग पर्सनल लॉ हैं। इधर यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए पर्सनल लॉ को खत्म करके सभी के लिए एक जैसा कानून बनाए जाने की मांग की जा रही है। यानी भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए निजी मामलों में भी एक समान कानून, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। जैसे- पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम पुरुष 4 शादी कर सकते हैं, लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करना अपराध है।

अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, मिस्र और आयरलैंड जैसे देशों में समान नागरिक संहिता का पालन किया जाता है। इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए व्यक्तिगत कानूनों का एक सेट है और किसी विशेष धर्म या समुदाय के लिए कोई अलग कानून नहीं है।

बीजेपी 2024 से पहले लागू कर सकती है यूसीसी – 2021 में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में शिफ्ट कर दिया गया और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने की बात कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की एक मुस्लिम वकील भी ये मानती हैं कि ‘हिंदू पर्सनल लॉ में काफ़ी सुधार हुए हैं। जो मुस्लिम पर्सनल लॉ में कभी नहीं हुए। मसलन साल 2005 के बाद से हिंदू क़ानून के तहत बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में हक़ मिला। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत आप अपने पति से तभी तलाक़ ले सकते हैं, जब आपकी शादी में कोई दिक़्क़त हो। बिना दिक़्क़त वाली शादी से बाहर निकलने का अभी कोई प्रावधान नहीं है या तो आपसी सहमति हो या फिर आप कोई समस्या दिखाइए। मजबूरन लोगों को कई झूठे आरोप लगाने पड़ते हैं। UCC लागू होने के बाद काफी कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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