बाल संरक्षण अधिकार एक्ट (किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 82 का खुला उल्लंघन
हरदोई।बीते गुरुवार की शाम से सोशल मीडिया एक खबर वायर हुई जिसके मुताबिक जानकारी जुटाने बाद ज्ञात हुआ है कि जनपद हरदोई में नबी पुरवा में धर्मशाला रोड निकट नटवीर पुलिया के पास स्थित “सेंट मैरी स्कूल” संचालक रमाकान्त अवस्थी ने कक्षा 6 के दो मासूमों को तालिबानी यातनाएँ देकर मात्र इसलिए पीटा है कि उन बालकों ने इंग्लिश लेशन का उच्चारण सुनाने में सिर्फ एक शब्द गलत पढ़ने की गलती कर दी थी।लेशन सुनाते समय बच्चों की गलती पर उनको इस कदर गुस्सा आ गया कि उन्होंने आव देखा न ताव बस बच्चों को तालिबानी सजा दे डाली।उनकी इस हरकत से जहाँ स्कूल के सभी छात्र डरे-सहमे हैं तो वहीं सजा पाए छात्र सुकल्प शुक्ला,सुमित यादव काफी सदमे में हैं।बच्चों ने बताया कि उन्होंने पहले कनपटी और गाल पर जोर-जोर से थप्पड़ मारे और जब वे लोग जमीन पर गिर गए तो फिर मुर्गा बनाकर बेल्ट से जबरदस्त पिटाई की।बालकों के साथ शिक्षक या अनुशासन प्रमुख की बर्बरता का मामला सुन हर कोई निन्दा कर रहा है।अभिवावकों का कहना है कि इस तरह के मामले प्रकाश में अक्सर आते रहते हैं और फिर ऐसे तालिबानी शिक्षक को उसकी सजा भी मिलती है।बच्चे देश का भविष्य होते हैं उनको ऐसी सजा देना उनके जीवन पर काफी घातक प्रहार साबित हो सकता है ऐसी परिस्थिति में उनके मन पर ऐसा बुरा प्रभाव हो सकता है कि डर और सदमे के कारण उनके मन की एकाग्रता (क्यू-पावर) समाप्त हो जाता है और उदासीनता के कारण उनको शिक्षा ग्रहण करने में बाधा उत्पन्न होने लगती है।यहाँ तक कि ऐसे ही हैवानी शिक्षकों की वजह से होनहार बच्चों की पढ़ाई में उत्साह हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो जाता है और उनका भविष्य खराब हो जाता है।छात्रों की पिटाई करना एक गम्भीर मामला है जोकि कानूनी तौर पे भी गलत है इसके लिए सरकार ने आयोग भी गठित कर रखा है।बाल संरक्षण आयोग में “किशोर न्याय अधिनियम 2015” की धारा 82 व 82(1,2,3) के तहत अभिवावकों और छात्रों द्वारा हैवानी टीचर/व्यक्ति विशेष के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई का प्रावधान लागू है।बच्चों या अभिवावकों द्वारा शिकायत करने पर पुलिस को संबंधित व्यक्ति विशेष के विरुद्ध उक्त धाराओं में प्रकरण दर्ज करना होगा।फिलहाल उक्त मामले को लेकर बच्चों के अभिवावकों से मिली जानकारी मिली है वे लोग इस प्रकरण में सेंट मैरी स्कूल संचालक के तानाशाही रवैये का मामला खंड शिक्षा अधिकारी से लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और फिर बाल संरक्षण आयोग तक पेश करेंगे।ऐसे शिक्षण संस्थानों जिसके संचालक बच्चों से राक्षसी व्यवहार करते हैं ऐसे भृष्ट शिक्षकों के विरुद्ध जब तक नियमानुसार आवशयक कार्रवाई नहीं होती तब तक देश दीपक शुक्ला जैसे अभिवावक खामोश नहीं बैठेंगे।