पटरंगा /बाराबंकी :- Zameer Ahmad


मोहर्रम की दसवीं को खिचड़े का क़िया गया प्रोग्राम, जिसे “आशूरा” भी कहा जाता है, मोहर्रम एक इस्लामिक पहला महीना है जिसमे एक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यक्रम होता है इस माह को कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथियों की याद में मनाया जाता है. मोहर्रम की दसवीं के दिन ग्राम पटरंगा निवासी खानकाह सूफी बाबा चिश्तीया निजामिया अलियाबाद के गद्दी नशीन सूफी मो.शमशेर व उनके छोटे भाई मो. गुलशेर ने अपने आवास पर आम तौर से खिचढ़े का प्रोग्राम क़िया इस अवसर पर सूफी मो. शमशेर ने बताया कि इस दिन लोग उपवास करते हैं, प्रार्थना करते हैं, और मातम मनाते हैं. खिचड़े का कार्यक्रम इस दिन के लिए एक विशेष भोजन है, जो आमतौर पर गरीबों और जरूरतमंदों को खिलाया जाता है. वहीं उनके बेटे मो. असद खान ने कहा कि मोहर्रम, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, और इसकी दसवीं तारीख़ (आशूरा) को कर्बला की लड़ाई की याद में मनाया जाता है. इस दिन, इमाम हुसैन और उनके साथियों को यज़ीद की सेना ने शहीद कर दिया था, जो सत्य और न्याय के लिए लड़े थे. आप को बता दे कि मोहर्रम की दसवीं को खिचड़े का प्रोग्राम एक धार्मिक परंपरा है, जो इस दिन के महत्व को दर्शाती है. यह दिन शोक, प्रार्थना और बलिदान का प्रतीक है.इस खिचढ़े के प्रोग्राम मे मुम्बई से भी तमाम जयरीनो ने शिरकत क़िया जिसमे मो. रफीक, मो. राशिद,व क्षेत्र के नबील अहमद, मो. आतिफ़, फैसल, उजेर आदि सहित सैकड़ो लोग उपस्तिथ थे.